आओ तो सही
यूं तो नहीं आना था तुमको मगर अब आ गए हो तो ठहरो तो सही मै खुश था अपनी तन्हाइयों मै अब तुम भी चुप बैठे हो कुछ बोलो तो सही हर सवाल पे और भी इतराते हो क्यों इतना जवाब है मेरे पास तुम ज़रा सुनो तो सही मुझसे कब मांगी थी तुमने कोई उम्मीद कब तोड़ दी हसरत तुम्हारी बताओ तो सही तुम जो चुप हो तो कोई राज ही होगा तुम तो समझदार हो बहुत हमें भी समझाओ तो सही ये जो आईना आंखों का लिए फिरते हो तुम इसमें मेरी तस्वीर है मुझे दिखाओ तो सही अब कहां कोई आरज़ू पाले इस दिल में मदहोश होश मे हूं मगर होश कोई दिलाए तो सही।